पटना CO साहब का अजीब आंदोलन: भ्रष्टाचार को अधिकार बताने की मांग, जनता ने किया विरोध और जागरूकता की पहल

CO साहब

पटना से एक ऐसी खबर आई जिसने पूरे बिहार को चौंका दिया। यहाँ के सर्किल ऑफिसर (CO साहब) ने एक नया आंदोलन छेड़ दिया है। आंदोलन की मांगें किसी आम कर्मचारी से जुड़ी नहीं हैं, बल्कि सीधे-सीधे रिश्वत लेने को वैध अधिकार घोषित करने की बात कही गई है। उनका कहना है कि उन्हें घूस लेने की पूरी आज़ादी मिलनी चाहिए और अगर कभी पकड़े भी जाएँ तो कार्रवाई निगरानी विभाग पर होनी चाहिए।

इस बयान ने लोगों को हैरान कर दिया। आम जनता पहले से ही सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी से परेशान है, ऐसे में जब कोई अधिकारी इसे आंदोलन की मांग बना दे तो यह पूरे सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

लोग सोशल मीडिया पर इसे लेकर जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ लोग इसे व्यंग्यात्मक आंदोलन बता रहे हैं तो कुछ कह रहे हैं कि यह भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर करने का एक तरीका है।

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बिहार में भ्रष्टाचार: एक जमीनी हकीकत

बिहार लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रहा है। सरकारी दफ्तरों में छोटे से काम के लिए भी रिश्वत देना आम बात बन चुकी है। चाहे जमीन का दाखिल-खारिज हो, जाति प्रमाण पत्र बनवाना हो या फिर किसी सरकारी योजना का लाभ लेना हो, हर जगह आम जनता को पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

निगरानी विभाग (Vigilance Department) समय-समय पर छापेमारी करता है और कई अधिकारियों को रंगे हाथ घूस लेते हुए पकड़ता भी है। इसके बावजूद हालात ज्यादा नहीं बदलते।

CO साहब की इस कथित मांग ने इसी सच्चाई को और उजागर किया है। यह बयान इस बात का संकेत है कि अब भ्रष्टाचार को छुपाया नहीं जा रहा बल्कि इसे “अधिकार” बनाकर पेश किया जा रहा है।

लोगों के बीच इस मुद्दे पर बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग कहते हैं कि अगर भ्रष्टाचार पर सख्ती नहीं हुई तो आने वाले समय में यह सामाजिक स्वीकार्यता पा लेगा, जिससे पूरा प्रशासनिक ढांचा कमजोर हो जाएगा।

जनता का विरोध और जागरूकता की नई लहर

CO साहब के आंदोलन की खबर सामने आते ही जनता में आक्रोश फैल गया। लोग कह रहे हैं कि अगर सरकारी अफसर ही रिश्वत को वैध बनाने की मांग करने लगेंगे तो आम नागरिक का भविष्य क्या होगा।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोग इस आंदोलन का मज़ाक भी उड़ा रहे हैं। कई लोगों ने लिखा कि अब “घूस लेना कोई अपराध नहीं बल्कि सेवा शुल्क” समझा जाएगा। वहीं कुछ नागरिकों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ नई जागरूकता फैलाने का अवसर बताया।

छात्र संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और युवा इस मुद्दे को लेकर सड़क पर भी उतर सकते हैं। लोगों का मानना है कि अब समय आ गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कानून और पारदर्शी व्यवस्था लागू की जाए।

यदि इस तरह की मांगों को मज़ाक में भी स्वीकार किया गया तो यह आने वाली पीढ़ियों को गलत संदेश देगा। इसलिए जनता ने तय किया है कि इसे केवल व्यंग्य मानकर छोड़ना नहीं चाहिए बल्कि इसे अवसर मानकर भ्रष्टाचार के खिलाफ जनआंदोलन छेड़ना चाहिए।

पटना में CO साहब के आंदोलन की खबर भले ही व्यंग्यात्मक और अजीब लगे, लेकिन इसने एक गंभीर मुद्दे को फिर से सामने ला दिया है। बिहार ही नहीं, पूरे देश में भ्रष्टाचार समाज की सबसे बड़ी समस्या है। ऐसे समय में जनता की जागरूकता और कड़ा कानून ही इस समस्या का स्थायी समाधान साबित हो सकता है।