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BRLPS जीविका योजना 2025:बिहार में BRLPS जीविका (Bihar Rural Livelihood Promotion Society – Jeevika) ने हाल ही में अपने आधिकारिक Twitter (X) अकाउंट पर एक नया अपडेट साझा किया। इस अपडेट में बताया गया कि महिलाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता के लिए और भी सशक्त बनाने के कदम उठाए जा रहे हैं।
जीविका योजना के तहत, महिलाओं को जीविका से संबंधित विभिन्न अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इस योजना के माध्यम से महिलाओं को जीविका के नए स्रोतों की जानकारी दी जाएगी।
यह पहल चर्चा में इसलिए भी है क्योंकि बिहार लंबे समय से ग्रामीण गरीबी, बेरोजगारी और महिला श्रमिकों की समस्या से जूझता रहा है। जीविका की यह योजना न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई गति देने की क्षमता रखती है।
BRLPS जीविका क्या है?
- BRLPS (Bihar Rural Livelihoods Promotion Society) को आमतौर पर “जीविका” नाम से जाना जाता है।
- यह संस्था विश्व बैंक और बिहार सरकार के संयुक्त सहयोग से चल रही है।
- इसका मुख्य उद्देश्य है – ग्राम स्तर पर महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाना और उन्हें वित्तीय एवं सामाजिक रूप से सशक्त करना।
- जीविका के माध्यम से अब तक लाखों महिलाएँ बैंकिंग सेवाओं से जुड़ चुकी हैं, लघु उद्योग चला रही हैं और अपने परिवार की आय बढ़ा रही हैं।
ताज़ा घोषणा: अब जीविका महिलाओं को स्टार्टअप मॉडल, कृषि आधारित व्यवसाय और डिजिटल वित्तीय सेवाओं से जोड़ने जा रही है।
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नई पहल में क्या मिलेगा?
महिलाओं को छोटे पैमाने पर व्यवसाय शुरू करने के लिए ऋण, प्रशिक्षण और मेंटरशिप दी जाएगी। इसमे कृषि, पशुपालन, डेयरी और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में महिलाओं को अवसर दिए जाएँगे। डिजिटल वित्तीय समावेशन में महिलाओं को बैंक खाता, बीमा और डिजिटल पेमेंट प्लेटफ़ॉर्म से जोड़ा जाएगा।और माइक्रोफाइनेंस और आसान लोन सुविधाएँ दी जाएँगी। स्थानीय और राष्ट्रीय बाजार से जोड़ने के लिए सप्लाई चेन और ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म की सुविधा दी जाएगी।
जीविका के तहत महिलाएँ विभिन्न स्वरोजगार विकल्पों को अपनाएंगी।
महिलाओं को जीविका के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए कई पहल की जाएँगी।
यह योजना महिलाओं के लिए जीविका के नए दरवाजे खोलेगी।
बिहार की महिलाओं के लिए क्या बदल जाएगा?
- आर्थिक स्वतंत्रता: महिलाएँ परिवार पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं रहेंगी।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: स्वरोजगार और प्रशिक्षण से सामाजिक पहचान बढ़ेगी।
- ग्रामीण पलायन में कमी: गाँव में ही रोजगार मिलने से पलायन रुकेगा।
- शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार: आय बढ़ने से परिवार बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर अधिक खर्च कर पाएगा।
विशेषज्ञ की राय
“महिलाओं को यदि वित्तीय स्वतंत्रता मिलती है, तो पूरा समाज आगे बढ़ता है। जीविका की यह पहल बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगी।”डॉ. अर्चना सिंह, ग्रामीण विकास विशेषज्ञ
चुनौतियाँ और समाधान
| समस्या | विवरण | समाधान |
|---|---|---|
| जागरूकता की कमी | ग्रामीण महिलाओं तक योजना की पूरी जानकारी नहीं पहुँचती | पंचायत स्तर पर अभियान, डिजिटल प्रचार |
| वित्तीय जोखिम | ऋण लेकर व्यवसाय असफल होने का डर | बीमा और लोन माफी विकल्प |
| बाज़ार की पहुँच | उत्पाद बिकने में कठिनाई | ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सरकारी खरीद केंद्र |
| तकनीकी कौशल की कमी | महिलाएँ डिजिटल टूल्स इस्तेमाल नहीं कर पातीं | प्रशिक्षण केंद्र, मोबाइल ऐप सपोर्ट |
| भ्रष्टाचार और मध्यस्थ | बीच में दलाल पैसे रोक लेते हैं | पारदर्शी डिजिटल ट्रांजेक्शन सिस्टम |
इस योजना से जुड़कर महिलाएँ जीविका के नए आयामों की खोज करेंगी।
निष्कर्ष
जीविका का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है।
इस पहल के तहत जीविका को प्राथमिकता दी जाएगी।
BRLPS जीविका की यह पहल सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण, आर्थिक स्वतंत्रता और ग्रामीण विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
जीविका के इस कदम से ग्रामीण क्षेत्र में विकास होगा।
अगर सही तरीके से लागू किया गया, तो यह योजना आने वाले वर्षों में बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी और लाखों महिलाओं के जीवन को बदल देगी।
जीविका योजना से समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा।
जीविका के माध्यम से महिलाएँ विभिन्न रोजगार क्षेत्रों में प्रवेश करेंगी।
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जीविका की योजना के माध्यम से महिलाएँ अपने कौशल का विकास करेंगी।



