Arrah Flood News: जवइनिया गाँव में बाढ़ से तबाही, दामोदरपुर बांध पर शरण लिए ग्रामीण

Arrah Flood News

Arrah Flood News:आरा में बाढ़ का कहर जवइनिया गाँव पानी में डूबा बिहार में मॉनसून की बारिश हर साल लोगों के लिए आफत बनकर आती है। इस बार भी वही तस्वीर देखने को मिल रही है। आरा जिले का जवइनिया गाँव बाढ़ के पानी में पूरी तरह से डूब गया है। गाँव के अधिकांश घरों में पानी घुस चुका है और लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं।

बाढ़ के कारण सड़क संपर्क टूट गया है और नाव ही लोगों के आने-जाने का साधन बन गई है। कई लोग अपने घरों की छतों पर चढ़कर राहत सामग्री का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने घर खाली कर दामोदरपुर बांध पर शरण ली है।

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गाँव के बुजुर्गों का कहना है कि ऐसी तबाही उन्होंने पहले कभी नहीं देखी। जिन घरों में सालों की मेहनत का सामान रखा था, वह सब बाढ़ के पानी में डूब चुका है। बच्चे और महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान हैं क्योंकि उनके पास न तो साफ पानी है और न ही पर्याप्त भोजन।

Arrah Flood News ग्रामीणों का सहारा बना दामोदरपुर बांध

बाढ़ की विभीषिका से बचने के लिए ग्रामीणों ने दामोदरपुर बांध का सहारा लिया है। बांध पर लोगों ने टेंट लगाकर रहना शुरू कर दिया है। महिलाएं खुले आसमान के नीचे खाना बना रही हैं और बच्चे मिट्टी पर खेलने को मजबूर हैं।

हालात इतने खराब हैं कि लोग एक-एक बर्तन और कपड़े को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वहीं, पशु भी बाढ़ में फंसे हुए हैं। जिन परिवारों के पास मवेशी हैं, वे उन्हें भी बांध पर ले आए हैं। इससे बांध पर जगह की भारी कमी हो गई है।

गाँव के एक ग्रामीण रामलाल यादव ने बताया कि पिछले तीन दिनों से वे अपने परिवार के साथ बांध पर रह रहे हैं। घर पूरी तरह पानी में डूब चुका है। उन्होंने कहा – यहाँ न बिजली है, न पानी। बच्चों के लिए दूध भी खत्म हो गया है। सरकार से मदद की उम्मीद है, लेकिन अभी तक कुछ नहीं मिला।”

बांध पर टेंटों की लंबी कतारें इस बात का सबूत हैं कि बाढ़ ने लोगों की जिंदगी को किस तरह तहस-नहस कर दिया है।

जवइनिया गाँव में बाढ़ से तबाही,सरकारी मदद और राहत कार्य की सच्चाई

बाढ़ प्रभावित इलाकों में प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य की घोषणाएं जरूर की गई हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत अलग है। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें अभी तक पर्याप्त मदद नहीं मिली है। न तो खाने-पीने का सामान पहुँचा है और न ही दवाइयाँ।

स्थानीय प्रशासन का कहना है कि बचाव कार्य लगातार जारी है। नावों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है। इसके अलावा राहत शिविर भी बनाए जा रहे हैं। लेकिन प्रभावित लोग कहते हैं कि ये मदद बहुत धीमी है और उन तक राहत समय पर नहीं पहुँच रही।

बाढ़ से सबसे ज्यादा असर गरीब और मजदूर वर्ग पर पड़ा है। रोज़ कमाने-खाने वाले परिवारों के सामने भूख का संकट खड़ा हो गया है। बच्चे बीमार हो रहे हैं लेकिन दवाइयाँ और डॉक्टर नहीं मिल रहे।

विशेषज्ञों का मानना है कि हर साल बिहार में बाढ़ से तबाही होती है, लेकिन सरकार की योजनाएँ और इंतज़ाम कागज़ों से बाहर नहीं निकल पाते। बाढ़ प्रबंधन की व्यवस्था मजबूत नहीं होने से हर बार लाखों लोग प्रभावित होते हैं।

क्या बदलेगा बिहार का बाढ़ प्रबंधन?

आरा के जवइनिया गाँव की तस्वीरें यह साफ करती हैं कि बाढ़ बिहार के लिए एक स्थायी संकट बन चुका है। हर साल बाढ़ आती है, घर-बार उजड़ते हैं, लेकिन हालात जस के तस बने रहते हैं।

दामोदरपुर बांध पर टेंट में रह रहे ग्रामीण प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द राहत सामग्री उपलब्ध कराई जाए। अगर समय रहते मदद नहीं पहुंची, तो स्थिति और भयावह हो सकती है।

बिहार सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह कैसे बाढ़ प्रबंधन को कारगर बनाए और प्रभावित लोगों तक तत्काल मदद पहुंचाए। फिलहाल, जवइनिया गाँव के लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आने वाले दिनों में उन्हें राहत मिलेगी और वे फिर से अपने घरों में लौट पाएंगे।