Independence Day 2025: भारत की आज़ादी के लिए क्यों चुनी गई थी 15 अगस्त की तारीख? असली वजह जानिए

भारत की आज़ादी की तारीख का कारण

Independence Day 2025:भारत इस साल अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। हर साल 15 अगस्त का दिन पूरे देश में देशभक्ति, गर्व और एकता का प्रतीक बनकर आता है। लाल किले से प्रधानमंत्री का भाषण, तिरंगे का लहराना, स्कूल-कॉलेजों में समारोह और देश के लिए शहीद हुए वीरों की याद — ये सभी इस दिन को खास बनाते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत की आज़ादी के लिए 15 अगस्त की तारीख ही क्यों चुनी गई? यह 14 अगस्त या 16 अगस्त क्यों नहीं हो सकता था? इसके पीछे एक दिलचस्प ऐतिहासिक कारण है, जिसे जानना हर भारतीय के लिए जरूरी है।

शुरुआत में तय थी दूसरी तारीख, लेकिन बदल गए हालात

भारत की आज़ादी का मूल समय ब्रिटिश सरकार ने 30 जून 1948 तय किया था। ब्रिटिश हुकूमत की योजना थी कि इस तारीख तक सत्ता का हस्तांतरण कर दिया जाएगा।
लेकिन 1947 में हालात बहुत खराब हो चुके थे Independence Day देश के विभाजन का ऐलान हो चुका था, सांप्रदायिक दंगे भड़क रहे थे, लाखों लोग विस्थापित हो रहे थे और राजनीतिक तनाव चरम पर था। इन परिस्थितियों में ब्रिटेन के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने महसूस किया कि अगर आज़ादी में देरी हुई तो हिंसा और बढ़ सकती है, जिससे देश में अराजकता फैल जाएगी।

इसी वजह से माउंटबेटन ने फैसला किया कि भारत को तय समय से पहले स्वतंत्र कर दिया जाए। 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में Indian Independence Bill पेश किया गया और इसे मंजूरी मिलते ही भारत की आज़ादी की तारीख 15 अगस्त 1947 तय कर दी गई।

Independence Day 2025 क्यों चुना गया 15 अगस्त का दिन?

15 अगस्त की तारीख महज संयोग नहीं थी। यह दिन लॉर्ड माउंटबेटन के लिए खास मायने रखता था।
दरअसल, 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ था, जब जापान ने मित्र राष्ट्रों के सामने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण किया था। उस समय माउंटबेटन मित्र देशों की सेना में एक महत्वपूर्ण पद पर थे और इस ऐतिहासिक विजय में उनकी भूमिका अहम थी।
यही कारण था कि उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए भी यही तारीख चुनी, ताकि यह दिन उनके जीवन में दोहरी ऐतिहासिक महत्व के रूप में दर्ज हो जाए — एक, जापान पर विजय और दूसरा, भारत की आज़ादी।

महात्मा गांधी क्यों नहीं थे दिल्ली में?

जब 15 अगस्त 1947 को दिल्ली में स्वतंत्रता का भव्य कार्यक्रम आयोजित हो रहा था, उस समय महात्मा गांधी वहां मौजूद नहीं थे।
वे उस दिन बंगाल में सांप्रदायिक दंगों को शांत कराने में लगे थे। गांधीजी का मानना था कि असली स्वतंत्रता तभी है जब हिंदू-मुस्लिम भाईचारे से रहें। उन्हें विभाजन के साथ मिली आज़ादी पर खुशी नहीं थी, क्योंकि वे मानते थे कि यह भविष्य में और संघर्ष ला सकती है।

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15 अगस्त का महत्व

आज, दशकों बाद भी 15 अगस्त केवल एक तारीख नहीं है, बल्कि हमारे संघर्ष, बलिदान और एकता का प्रतीक है।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सही फैसले और एकजुटता से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।
15 अगस्त का जश्न मनाना सिर्फ अतीत को याद करना नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता के महत्व का एहसास कराना है, ताकि वे भी अपने देश के लिए योगदान दे सकें।