राजस्व विभाग की बड़ी कार्रवाई: 110 कर्मियों की बर्खास्तगी, हड़तालियों पर चला गाज

राजस्व विभाग की बड़ी कार्रवाई, बिहार में 110 कर्मियों की बर्खास्तगी - हड़ताल पर सख्त कदम

राजस्व विभाग की बड़ी कार्रवाई:बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। लंबे समय से चल रही हड़ताल और कामकाज में बाधा डालने वाले कर्मचारियों के खिलाफ विभाग ने सख्त कदम उठाया है। राजस्व विभागविभागीय आदेश के मुताबिक, कुल 110 कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है, जिनमें विशेष सर्वेक्षण अमीन, कानूनगो, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी और लिपिक शामिल हैं। इस फैसले के बाद पूरे बिहार प्रशासनिक हलके में हलचल मच गई है और यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या सरकार आने वाले दिनों में और भी सख्त कदम उठा सकती है।

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राजस्व विभाग हड़तालियों पर कार्रवाई क्यों हुई?

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग पिछले कुछ महीनों से विशेष सर्वेक्षण कार्यों में तेजी लाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन कई जिलों में कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार और हड़ताल का रास्ता अपनाया। विभाग का कहना है कि:

  • हड़ताल की वजह से भूमि सर्वेक्षण कार्य बाधित हो रहे थे।
  • कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स और राजस्व संबंधित योजनाएं अधर में लटक गईं।
  • आम जनता को भूमि रिकॉर्ड और दाखिल-खारिज जैसी सेवाओं में परेशानी हो रही थी।

इसी कारण, सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए हड़तालियों के खिलाफ यह कार्रवाई की।

किन कर्मचारियों को किया गया बर्खास्त?

आधिकारिक जानकारी के अनुसार, बर्खास्त किए गए कुल 110 कर्मचारियों में अलग-अलग श्रेणी के पदाधिकारी शामिल हैं।

  • 14 विशेष सर्वेक्षण सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी
  • 16 विशेष सर्वेक्षण कानूनगो
  • 60 विशेष सर्वेक्षण अमीन
  • 20 विशेष सर्वेक्षण लिपिक

इस तरह सभी स्तर पर कार्रवाई करते हुए विभाग ने यह संदेश दिया है कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी

राजस्व विभाग विभाग का आधिकारिक बयान

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने साफ किया है कि –“राज्य सरकार विकास कार्यों में बाधा डालने वालों के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति अपना रही है। हड़ताल और अनुशासनहीनता को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”विभाग ने साथ ही यह भी चेतावनी दी है कि यदि आगे भी कोई कर्मचारी कामकाज में बाधा डालने की कोशिश करेगा, तो उसके खिलाफ भी निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई की जा सकती है।

आम जनता पर असर

इस हड़ताल और कार्रवाई का सीधा असर आम जनता पर पड़ा है। भूमि सुधार और राजस्व विभाग से जुड़ी सेवाएं आम नागरिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

  • कई लोग जमीन की मापी और दाखिल-खारिज के लिए इंतजार कर रहे थे।
  • हड़ताल की वजह से ऑनलाइन म्यूटेशन और जमीन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अटक गई थी।
  • ग्रामीण इलाकों में भूमि विवाद और ज्यादा गहरे हो गए।

अब सरकार की इस कार्रवाई के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि कामकाज में तेजी आएगी और जनता को राहत मिलेगी।

विशेषज्ञों की राय

राजनीतिक और प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि –

  • यह कदम सरकार की कड़े अनुशासन की नीति को दर्शाता है।
  • इससे आने वाले समय में कर्मचारी संगठनों पर भी दबाव बनेगा कि वे कामकाज ठप करने की बजाय संवाद का रास्ता अपनाएं।
  • हालांकि, कुछ लोग इसे कर्मचारियों के अधिकारों पर चोट भी बता रहे हैं और कह रहे हैं कि सरकार को पहले वार्ता से समाधान निकालना चाहिए था।

क्या और होगी कार्रवाई?

सूत्रों की मानें तो यह पहला चरण है। आने वाले दिनों में अगर स्थिति सामान्य नहीं होती है, तो सरकार और भी कर्मचारियों को टारगेट कर सकती है। इसके अलावा, विभाग वैकल्पिक व्यवस्था भी कर रहा है ताकि सर्वेक्षण कार्य और भूमि सुधार योजनाएं समय पर पूरी की जा सकें।राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की इस कार्रवाई ने पूरे राज्य में संदेश दे दिया है कि हड़ताल और अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। 110 कर्मचारियों की बर्खास्तगी एक बड़ा कदम है, जो आने वाले समय में अन्य सरकारी विभागों के लिए भी मिसाल बन सकता है।यह देखना दिलचस्प होगा कि कर्मचारी संगठनों की अगली रणनीति क्या होगी और क्या सरकार आगे भी इसी तरह की सख्ती बरतती रहेगी।

बिहारभूमि सुधार महा-अभियान 2025: बिहार सरकार का बड़ा कदम, किसानों को जमीन से जुड़े दस्तावेज़ घर-घर मिलेंगे

बिहार भूमि सुधार महाअभियान 2025: खेत और घर से जुड़ी तस्वीर

बिहारभूमि सुधार महा-अभियान 2025:बिहार सरकार ने जमीन से जुड़े विवाद और त्रुटियों को खत्म करने के लिए 16 अगस्त से 20 सितंबर 2025 तक ‘भूमि सुधार महा-अभियान’ की शुरुआत की है। इस अभियान का उद्देश्य है कि हर किसान और जमीन मालिक को उनकी जमाबंदी, नामांतरण, बंटवारा और अन्य राजस्व संबंधी सेवाएँ सीधे उनके गाँव और पंचायत स्तर पर उपलब्ध कराई जाएं।

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भूमि सुधार महा-अभियान का उद्देश्य

  • जमीन के पुराने रिकॉर्ड्स में सुधार करना।
  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर हर किसान की जमीन की सही जानकारी दर्ज करना।
  • नाम, खेसरा, खाता, रकबा और लगान जैसी त्रुटियों को सही करना।
  • लोगों को राजस्व कार्यालय के चक्कर लगाने से बचाना।
  • ऑनलाइन जमाबंदी और नामांतरण की प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाना।

किसानों को कैसे मिलेगा लाभ?

इस अभियान के तहत राजस्व कर्मचारी और अमीन पंचायत स्तर पर कैंप लगाएंगे।

  • हर नागरिक को जमाबंदी की प्रति (Record of Rights) उनके गाँव में ही उपलब्ध होगी।
  • यदि कोई त्रुटि मिलती है, तो उसी समय ऑनलाइन सुधार किया जाएगा।
  • नामांतरण और बंटवारा के मामले तुरंत पंजीकृत होंगे।
  • मोबाइल नंबर से OTP वेरिफिकेशन के ज़रिए पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।
  • आवेदन करने वाले को तुरंत रसीद और आवेदन संख्या SMS के जरिए मिलेगी।

बिहारभूमि सुधार महा-अभियान 2025 डिजिटल पोर्टल से सुविधा

सरकार ने इस अभियान को डिजिटल रूप से भी मजबूत किया है।

  • Bihar Bhumi Portal और Bihar Bhumi Plus के ज़रिए सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
  • परिमार्जन प्लस” और “म्यूटेशन प्लस” जैसे सॉफ़्टवेयर के जरिए डेटा को तुरंत अपडेट किया जा रहा है।
  • हर हल्का (राजस्व क्षेत्र) में लैपटॉप और इंटरनेट डोंगल से लैस कर्मचारी मौजूद रहेंगे।

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किसानों की प्रतिक्रिया

गाँव-गाँव चल रहे इस अभियान को लेकर किसानों में उत्साह है।

  • पहले जहाँ जमीन से जुड़े विवाद सालों तक अदालतों में चलते थे, अब उन्हें घर-घर समाधान मिलने लगा है।
  • डिजिटल रिकॉर्ड मिलने से पारदर्शिता बढ़ी है और दलालों की भूमिका कम हुई है
  • किसानों का कहना है कि अब उन्हें अपने जमीन के कागज़ात ऑनलाइन मिल रहे हैं, जिससे बैंक लोन, बंटवारा और रजिस्ट्री जैसे कार्य आसान हो गए हैं।

बिहारभूमि सुधार महा-अभियान 2025 सरकार की उम्मीदें

बिहार सरकार का मानना है कि इस महा-अभियान से:

  • जमीन विवादों में 50% तक कमी आएगी।
  • हर किसान की जमीन का सही रिकॉर्ड डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध होगा।
  • पारदर्शिता से भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।
  • भविष्य में किसानों को सीधे लाभकारी योजनाओं का फायदा दिया जा सकेगा।

नीतीश सरकार नई योजना 2025″भूमि सुधार महा-अभियान” बिहार सरकार का एक बड़ा कदम है जो जमीन सुधार के साथ-साथ किसानों की ज़िंदगी को आसान बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी प्रयास है।
यह पहल न केवल भूमि विवादों को कम करेगी, बल्कि आने वाले समय में बिहार को डिजिटल भूमि प्रबंधन का मॉडल राज्य भी बना सकती है।

बिहार जमाबंदी महाअभियान 2025: बिहार में घर-घर जाकर मिलेगी जमाबंदी की कॉपी, 16 अगस्त से शुरू होगा महाअभियान

बिहार जमाबंदी महाअभियान 2025

बिहार जमाबंदी महाअभियान 2025:बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक बड़ा कदम उठाते हुए घोषणा की है कि राज्य में अब लोगों को उनकी जमीन की जमाबंदी की कॉपी घर-घर जाकर उपलब्ध कराई जाएगी। इस विशेष अभियान की शुरुआत 16 अगस्त 2025 से होगी और यह 15 सितंबर 2025 तक चलेगा। इस अभियान के तहत राजस्व कर्मी गांव-गांव, मोहल्लों और कस्बों में जाकर लोगों को उनके जमीन से जुड़े दस्तावेज देंगे।

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अभियान का उद्देश्य: हर नागरिक तक पहुंचाना जमीन के कागजात

इस पहल का मुख्य उद्देश्य है कि राज्य के सभी भूमि मालिकों को उनकी जमीन की अद्यतन जमाबंदी कॉपी उपलब्ध हो सके
अक्सर देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जमीन के कागजात प्राप्त करने के लिए अंचल कार्यालय या प्रखंड कार्यालय के चक्कर लगाते हैं। इससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी होती है। इस अभियान से:

  • लोग अपने घर बैठे ही जमीन का दस्तावेज पा सकेंगे।
  • विवादों और धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी।
  • जमीन से जुड़े रेकॉर्ड डिजिटली और ऑफलाइन दोनों तरह से सटीक रहेंगे।

बिहार जमाबंदी महाअभियान 2025 क़े अभियान की अवधि और कार्यप्रणाली

राजस्व विभाग के अनुसार यह अभियान 16 अगस्त 2025 से 15 सितंबर 2025 तक पूरे राज्य में चलेगा।
DCLR Situ Sharma ने बताया कि इस अवधि में विशेष टीमों का गठन किया गया है, जो गांव-गांव जाकर लोगों की पहचान सत्यापित करेंगी और उन्हें जमाबंदी की कॉपी देंगी
अभियान में शामिल होंगे:

  • राजस्व कर्मचारी और अधिकारी
  • पंचायत स्तर के कर्मी
  • स्थानीय जनप्रतिनिधि
  • कंप्यूटर ऑपरेटर (डिजिटल रेकॉर्ड के लिए)

प्रत्येक पंचायत में अलग-अलग टीम बनाई गई है, जिससे अभियान तेज़ी और पारदर्शिता से चले।

जनता को होने वाले फायदे

यह महाअभियान आम जनता के लिए कई तरह से फायदेमंद साबित होगा:

  1. समय की बचत – अब कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं।
  2. कागजात सुरक्षित – लोगों को आधिकारिक मुहर लगी हुई कॉपी मिलेगी।
  3. विवादों में कमी – जमीन के मालिकाना हक़ को लेकर झगड़े घटेंगे।
  4. पारदर्शिता – सभी रेकॉर्ड अपडेट होकर लोगों के हाथ में होंगे।

इससे खासकर किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को राहत मिलेगी।
क्योंकि उनकी जमीन से जुड़े अधिकतर विवाद कागजात की कमी के कारण होते हैं।

बिहार जमाबंदी महाअभियान 2025 से डिजिटल रिकॉर्ड और भविष्य की योजना

राजस्व विभाग का लक्ष्य है कि 2026 तक बिहार में 100% जमीन का रिकॉर्ड डिजिटल और अद्यतन हो जाए।
अभियान के दौरान:

  • ऑनलाइन पोर्टल पर डेटा अपडेट होगा।
  • लोगों के मोबाइल नंबर और आधार से जमीन की डिटेल लिंक होगी।
  • भविष्य में SMS और ईमेल के माध्यम से दस्तावेज भेजने की योजना है।

इस तरह, ऑफलाइन कॉपी के साथ-साथ डिजिटल कॉपी भी उपलब्ध रहेगी, जिससे किसी भी स्थिति में दस्तावेज सुरक्षित रहेंगे।बिहार में शुरू होने वाला यह महाअभियान भूमि प्रबंधन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है। यह न सिर्फ लोगों को उनके दस्तावेज समय पर उपलब्ध कराएगा, बल्कि राज्य के भूमि रिकॉर्ड को पारदर्शी और सटीक बनाएगा।अगर यह योजना सफल होती है, तो यह पूरे देश के लिए एक मॉडल प्रोजेक्ट साबित हो सकती है।

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बिहार में भूमि विवाद

बिहार में भूमि विवाद की समस्या वर्षों से लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही है। ज़मीन से जुड़े मामलों में उलझे लोग अक्सर थानों, अंचल कार्यालयों और अदालतों के चक्कर लगाते रहते हैं। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक, ज़मीन को लेकर विवाद आम हो गए हैं। राज्य सरकार ने कई बार इस समस्या को हल करने के लिए कदम उठाए, लेकिन अब तक इसका पूरी तरह से समाधान नहीं हो सका।

राजस्व विभाग के नियम-कायदे और प्रक्रियाएं कई बार बदली गईं, परंतु व्यवहारिक स्तर पर इनका असर सीमित ही रहा। इसके चलते बड़ी संख्या में लोग वर्षों तक अपने विवादों का निपटारा होने का इंतजार करते रहे हैं। अब, इस समस्या को तेजी से हल करने के उद्देश्य से बिहार सरकार ने एक नई पहल शुरू की है। इसके तहत अब प्रत्येक शनिवार को अंचल कार्यालयों में जनता दरबार का आयोजन होगा, जहां सीधे भूमि विवादों की सुनवाई की जाएगी।

सरकार का मानना है कि इस कदम से न केवल मामलों के त्वरित निपटारे में मदद मिलेगी, बल्कि थानों और अदालतों में लंबित भूमि विवादों का बोझ भी कम होगा। इस फैसले के पीछे मुख्य सचिव के निर्देश और हालिया समीक्षा बैठक की बड़ी भूमिका रही है, जिसमें इस समस्या को गंभीरता से उठाया गया था।

भूमि विवादों का पुराना संकट और थानों में सुनवाई की सीमाएं

भूमि विवाद बिहार में नई समस्या नहीं है। यह एक पुराना संकट है, जिसकी जड़ें गहरी हैं। अक्सर यह विवाद परिवार के अंदर बंटवारे, सीमांकन, या रजिस्ट्री संबंधी गड़बड़ियों के कारण उत्पन्न होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह स्थिति और भी जटिल होती है, जहां न तो रिकॉर्ड ठीक से अपडेट होते हैं और न ही सीमांकन स्पष्ट होता है।

राज्य सरकार ने पहले एक व्यवस्था बनाई थी, जिसके तहत हर शनिवार को थानों में सीओ और थानाध्यक्ष की मौजूदगी में भूमि विवादों की सुनवाई होनी थी। इस पहल का उद्देश्य था कि थाने स्तर पर ही विवाद का निपटारा हो जाए और लोगों को बार-बार अंचल कार्यालय या कोर्ट के चक्कर न लगाने पड़ें।

लेकिन समय के साथ यह व्यवस्था प्रभावी साबित नहीं हो पाई। कई मामलों में सुनवाई सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई और विवाद का असली समाधान नहीं हो पाया। परिणामस्वरूप, थानों में हल न होने वाले मामले अंततः कोर्ट पहुंच गए, जिससे वहां का बोझ भी बढ़ गया।

इसी पृष्ठभूमि में 22 जुलाई को मुख्य सचिव ने सभी जिलों के डीएम और एसपी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की। इस बैठक में भूमि विवाद मामलों की समीक्षा की गई और उनकी प्रगति का आकलन किया गया। बैठक के बाद मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिए कि अंचल कार्यालय स्तर पर सुनवाई को प्राथमिकता दी जाए और इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।

नई व्यवस्था: अंचल कार्यालयों में जनता दरबार और स्थल निरीक्षण

मुख्य सचिव के निर्देश के बाद सीतामढ़ी के एसपी अमित रंजन ने पत्र जारी कर इस नई व्यवस्था की घोषणा की। इसके अनुसार, अब प्रत्येक शनिवार को अंचल कार्यालयों में जनता दरबार आयोजित होगा, जिसमें आम नागरिक अपने भूमि विवाद मामलों को प्रस्तुत कर सकेंगे। यह व्यवस्था इस उद्देश्य से बनाई गई है कि विवादों को मौके पर ही सुना और सुलझाया जा सके।

यदि किसी मामले में स्थल मुआयना की आवश्यकता होगी, तो अंचल कार्यालय के अधिकारी और थाना पुलिस संयुक्त रूप से मौके पर जाकर जांच करेंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि निर्णय लेने से पहले पूरे मामले की स्पष्ट और सटीक जानकारी हो। इस तरह के निरीक्षण से झूठे दावे और फर्जी दस्तावेजों के मामलों में भी कमी आने की संभावना है।

जनता दरबार में हुई सुनवाइयों का ऑफलाइन रिकॉर्ड रखा जाएगा, जिसमें सभी कागजात, लिए गए निर्णय और कार्रवाई का विवरण दर्ज होगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और भविष्य में किसी भी जांच के समय सटीक जानकारी उपलब्ध होगी।

फर्जी दस्तावेज पाए जाने पर उनकी गहन जांच की जाएगी। दोषी पाए जाने पर संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि भूमि विवाद से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में किसी को बख्शा नहीं जाएगा।

सुनवाई के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अंचल कार्यालयों में सुरक्षा बल की तैनाती की जाएगी। इससे आम नागरिक बिना डर के अपनी शिकायत रख सकेंगे और सुनवाई निष्पक्ष माहौल में हो सकेगी।

बिहार सरकार को उम्मीद है कि इस नई पहल से भूमि विवादों का त्वरित और निष्पक्ष समाधान होगा। यदि इसे ईमानदारी और सख्ती से लागू किया गया, तो आने वाले समय में थानों और अदालतों में लंबित मामलों की संख्या घट सकती है। साथ ही, आम लोगों को वर्षों पुरानी परेशानियों से भी राहत मिलेगी। यह कदम प्रशासनिक सुधार और न्याय व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

बिहार राजस्व विभाग का महाअभियान 2025: घर-घर जाकर हल होंगी ज़मीन व रजिस्ट्री से जुड़ी समस्याएं

बिहार राजस्व विभाग का महाअभियान 2025

बिहार राजस्व विभाग का महाअभियान 2025:बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने राज्यभर में एक बड़े महाअभियान की शुरुआत करने का ऐलान किया है। इस अभियान के तहत विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सीधे गांव और शहरों में घर-घर पहुंचकर लोगों की भूमि एवं रजिस्ट्री से जुड़ी समस्याओं का समाधान करेंगे। इस योजना का उद्देश्य आम जनता को सरकारी दफ्तरों के चक्कर से राहत देना और त्वरित न्याय उपलब्ध कराना है।

अभियान की बड़ी घोषणा

राजस्व विभाग ने बताया कि यह महाअभियान अगस्त 2025 के दूसरे सप्ताह से शुरू होगा और लगभग तीन महीने तक चलेगा। इस दौरान राज्य के सभी जिलों में चरणबद्ध तरीके से टीमें भेजी जाएंगी। हर जिले और प्रखंड में अलग-अलग तारीखें तय की जाएंगी ताकि सभी लोगों को अपनी समस्या दर्ज कराने का अवसर मिल सके।बात करे किकिन समस्याओं का होगा समाधान?इस महाअभियान में भूमि और रजिस्ट्री से जुड़ी लगभग सभी प्रमुख समस्याओं का निपटारा किया जाएगा। इसमें ज़मीन मापी और सीमांकन विवाद, दाखिल-खारिज में देरी, खेसरा और खाता नंबर की गलतियां, भूमि स्वामित्व विवाद, नक्शा से जुड़ी गड़बड़ियां और रजिस्ट्री से संबंधित लंबित फाइलें शामिल होंगी। विभाग का कहना है कि जहां संभव होगा, मौके पर ही समाधान किया जाएगा और गंभीर मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए रिपोर्ट भेजी जाएगी।

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अभियान की कार्यप्रणाली

इस अभियान के लिए विशेष टीमें गठित की जा रही हैं, जिनमें राजस्व कर्मी, अंचल अधिकारी और भूमि सर्वेक्षक शामिल होंगे। ये टीमें गांव-गांव और शहर के मोहल्लों में जाएंगी। लोगों से उनके घर पर ही लिखित और मौखिक दोनों तरह से शिकायत ली जाएगी। मौके पर दस्तावेज जांचने और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने की सुविधा भी उपलब्ध होगी।और सरकार का उद्देश्य इस अभियान को पूरी तरह पारदर्शी बनाना है। शिकायत दर्ज होते ही उसे ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट किया जाएगा, ताकि आवेदक अपनी समस्या की स्थिति को ट्रैक कर सके। इसके अलावा, अभियान के दौरान एक विशेष हेल्पलाइन नंबर भी सक्रिय रहेगा, जहां लोग फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

बिहार राजस्व विभाग महाअभियान 2025 सरकार का उद्देश्य

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का मानना है कि बिहार में भूमि विवाद और दाखिल-खारिज से जुड़ी समस्याएं सबसे आम शिकायतों में से एक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या और भी गंभीर होती है, जहां लोग कई-कई साल तक अपने हक के कागज़ के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं। इस महाअभियान से उम्मीद है कि जनता को समय पर न्याय मिलेगा और भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी।राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री ने कहा कि यह योजना जनता के द्वार पर न्याय पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा— “हमारी प्राथमिकता है कि लोगों को अपनी जमीन और रजिस्ट्री से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए दफ्तरों में परेशान न होना पड़े। अब हम सीधे उनके घर जाएंगे और समस्या का निपटारा करेंगे।”

जनता को होने वाले फायदे

इस महाअभियान से आम जनता को कई तरह के फायदे होंगे। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि लोगों का समय और पैसा दोनों बचेगा। अब उन्हें छुट्टी लेकर सरकारी दफ्तरों में लाइन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। घर बैठे उनकी समस्या दर्ज होगी और जहां संभव होगा, तुरंत समाधान भी मिलेगा। साथ ही, डिजिटल रिकॉर्ड अपडेट होने से भविष्य में कागज़ी विवादों की संभावना कम हो जाएगी।राजस्व विभाग इस महाअभियान के लिए एक विशेष हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च करेगा। इस पोर्टल पर लोग अपनी शिकायत दर्ज कर सकेंगे और समाधान की प्रगति देख सकेंगे। इससे न केवल पारदर्शिता बनी रहेगी, बल्कि अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होगी। और सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया इस योजना को लेकर लोगों में उत्साह देखा जा रहा है। पटना जिले के एक किसान ने कहाअगर अधिकारी हमारे गांव आकर हमारी जमीन से जुड़ी समस्या सुलझाएंगे, तो यह हमारे लिए बहुत बड़ी राहत की बात होगी।” वहीं, शहरी क्षेत्रों के लोगों का कहना है कि इससे समय की बचत होगी और अनावश्यक भागदौड़ खत्म होगी।बिहार राजस्व विभाग का यह महाअभियान राज्य के करोड़ों लोगों के लिए उम्मीद की किरण है। अगर यह योजना सही ढंग से लागू हुई, तो भूमि विवाद और रजिस्ट्री समस्याओं का निपटारा रिकॉर्ड समय में संभव होगा। यह न केवल लोगों की परेशानियां कम करेगा, बल्कि सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और तेजी भी लाएगा।

Bihar Land Survey 2025: यदि भूमि सर्वेक्षण टीम आपके स्थल पर आती है, तो घबराएं नहीं,सबसे पहले ये काम करें.

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बिहार सरकार ने भूमि सुधार और डिजिटल रिकॉर्ड को पारदर्शी बनाने के लिए की शुरुआत की है। इस सर्वेक्षण के माध्यम से राज्य की हर ज़मीन की डिजिटल मैपिंग, मापी और स्वामित्व का रिकॉर्ड अपडेट किया जा रहा है।

यह प्रक्रिया ज़िला, अनुमंडल और पंचायत स्तर पर चरणबद्ध तरीके से की जा रही है। अगर भूमि सर्वेक्षण टीम आपके गांव या निजी ज़मीन पर आती है, तो आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। यह लेख आपको पूरी गाइड प्रदान करेगा कि अगर सर्वे टीम आपके स्थल पर आती है, तो क्या करें और क्या न करें।”

भूमि सर्वेक्षण 2025 का उद्देश्य क्या है?

1.भूमि स्वामित्व का स्पष्ट रिकॉर्ड तैयार करना

2.भू-स्वामियों की पहचान सुनिश्चित करना

3.नक्शों का डिजिटलीकरण करना

4.भूमिहीन लोगों की स्थिति दर्ज करना

5.भूमि विवादों को कम करना

6.बैंकों से ऋण लेने में आसानी

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यदि भूमि सर्वेक्षण टीम आ जाए तो क्या करना चाहिए?

यदि आपके गांव या क्षेत्र में भूमि सर्वेक्षण टीम आती है और आपकी जमीन की मापी करने लगती है, तो आपको पहले से कुछ जरूरी तैयारियां करनी चाहिए। सबसे पहले, ज़मीन से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज़ जैसे खतियान, रसीद, रजिस्ट्री कागज़, और पहचान पत्र पहले से तैयार रखें। ये कागज़ यह साबित करने में मदद करते हैं कि आप ही उस जमीन के असली स्वामी हैं।
सर्वे टीम के आने पर यह जरूरी है कि आप या आपके परिवार का कोई सदस्य जमीन पर मौजूद हो। अक्सर टीम सीमांकन (boundary marking) और पुरानी जानकारी को अपडेट करने का काम करती है। यदि जमीन की सीमा स्पष्ट नहीं है, तो आप पहले ही खेत की मेड़ या गढ़ी बनवा लें ताकि सर्वे टीम को कोई भ्रम न हो। अपने पड़ोसी भू-स्वामियों को भी मौके पर बुला लेना फायदेमंद रहता है ताकि सीमा विवाद न उत्पन्न हो।

khata naksa 2025

भूमि सर्वेक्षण के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?

सर्वे टीम से बात करते समय पूरी जानकारी स्पष्ट और सही ढंग से दें। यदि कोई पुराना विवाद हो या जमीन पैतृक हो और बंटवारा न हुआ हो, तो टीम को ईमानदारी से बताएं। गलत जानकारी देने से भविष्य में आप ही को परेशानी हो सकती है। इसके अलावा, टीम जो जानकारी दर्ज कर रही है, उसे ध्यान से देखें और गलतियों पर तुरंत आपत्ति जताएं।

कई बार देखा गया है कि सर्वेक्षण के बाद जो रिकॉर्ड बनता है, उसमें कुछ गलतियाँ रह जाती हैं। यदि ऐसा होता है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आप अंचल कार्यालय में जाकर आपत्ति आवेदन दे सकते हैं या बिहार सरकार के भूमि पोर्टल biharbhumi.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा, RTPS सेवा केंद्र पर जाकर भी सुधार की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।भूमि सर्वेक्षण के दौरान सबसे बड़ी गलती जो लोग करते हैं वह यह है कि वे अपनी जमीन पर अनुपस्थित रहते हैं या अपने दस्तावेज़ समय पर प्रस्तुत नहीं करते। यह स्थिति उस समय गंभीर हो सकती है जब आपकी जमीन को किसी और के नाम दर्ज कर लिया जाए। इसलिए यह जरूरी है कि जैसे ही आपके गांव में सर्वे शुरू हो, आप सतर्क हो जाएं और अपने सभी कागज़ तैयार रखें।

अगर आपकी जमीन में पेड़, कुआं, निर्माण या अन्य कोई विशेष संरचना हो तो उसकी भी जानकारी टीम को दें ताकि उसे रिकॉर्ड में दर्शाया जा सके। यह बातें भविष्य में आपकी संपत्ति की वैल्यू तय करने और किसी मुआवज़े के दावे में मदद करेंगी।

ग्रामीणों के लिए विशेष सुझाव

गांव के स्तर पर मुखिया, वार्ड सदस्य और अन्य ग्रामीणों के साथ मिलकर एक छोटी समिति बनाई जा सकती है जो सर्वेक्षण टीम के साथ तालमेल बनाए रखे और आवश्यक सहयोग करे। इससे पूरे गांव में पारदर्शिता बनी रहती है और कोई भी किसान या ज़मींदार अपनी जानकारी देने से वंचित नहीं रहता।

भूमि सर्वेक्षण के बाद क्या करें?

ऑनलाइन पोर्टल्स की मदद से आप सर्वे के बाद अपना खतियान, नक्शा, LPC और अन्य विवरण खुद भी चेक कर सकते हैं। इसके लिएlrcbihar और dlrs.bihar.gov.in जैसे पोर्टल्स काफी उपयोगी हैं। यहां से आप PDF में खतियान डाउनलोड कर सकते हैं या सुधार के लिए आवेदन कर सकते हैं।

यह भी ध्यान रखें कि भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया के बाद ड्राफ्ट रिकॉर्ड पंचायत भवन या ग्राम सचिवालय में चस्पा किया जाता है। इस समय आपको जाकर अपने नाम, रकबा, जमीन का प्रकार और अन्य विवरणों की जांच करनी चाहिए। यदि सब कुछ सही हो, तो आप संतुष्ट हो सकते हैं। लेकिन अगर कोई त्रुटि हो, तो उसी समय आपत्ति दर्ज करवाना आवश्यक है क्योंकि एक बार फाइनल रिकॉर्ड तैयार हो जाने के बाद उसमें बदलाव कराना मुश्किल हो सकता है।

सर्वे टीम का उद्देश्य सिर्फ रिकॉर्ड बनाना नहीं बल्कि यह भी देखना है कि जमीन पर कौन वास्तव में काबिज़ है। ऐसे में यदि आप किरायेदार हैं, भूमिहीन हैं, या किसी सरकारी जमीन पर वर्षों से रह रहे हैं, तो भी इस सर्वे के जरिए आपकी स्थिति दर्ज हो सकती है। यह भविष्य की योजनाओं में आपकी पात्रता तय करने में काम आएगा।

Bihar Bhumi Portal: ऑनलाइन भूमि दस्तावेज़ ऐसे देखें 2025 में

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बिहार सरकार ने भूमि से संबंधित जानकारी को डिजिटल रूप से सुलभ बनाने के लिए Bihar Bhumi Portal (https://biharbhumi.bihar.gov.in) की शुरुआत की है। इस पोर्टल की मदद से कोई भी व्यक्ति अब घर बैठे अपने ज़मीन का रिकॉर्ड, खतियान, खेसरा, एलआरसी मैप और रजिस्ट्रेशन डिटेल्स ऑनलाइन देख सकता है।

Bihar Bhumi Portal की मुख्य विशेषताएं

1.ऑनलाइन खतियान/खेसरा की जानकारी

2.भूमि नक्शा (LRC Map) देखने की सुविधा

3.दाखिल खारिज (Mutation) की स्थिति

4.रजिस्ट्रेशन और एलपीसी अप्लाई

5.पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और तेज़

Bihar Bhumi Website पर भूमि दस्तावेज़ देखने की प्रक्रिया

Step 1: बिहार भूमि पोर्टल पर जाएं

सबसे पहले अपने मोबाइल या कंप्यूटर से Bihar Bhumi की आधिकारिक वेबसाइट Link पर क्लिक करें.

Step 2: “View Your Account” पर क्लिक करें

Home Page पर आपको “अपने खाता को देखें” या “View Your Account” का विकल्प दिखाई देगा। उस पर क्लिक करें।

Step 3: ज़िला, अंचल और मौजा का चयन करें

अब एक नया पेज खुलेगा, जिसमें आपको नीचे दी गई जानकारी भरनी होगी:

  • ज़िला (District)
  • अंचल (Anchal)
  • मौजा (Mouza)

Step 4: सर्च विकल्प चुनें

आप निम्नलिखित में से कोई एक विकल्प चुन सकते हैं:

रजिस्ट्रेशन नंबर (Deed No.)

खाता संख्या (Account Number)

खेसरा संख्या (Khesra Number)

Step 5: Captcha भरें और Search करें

नीचे दिए गए कैप्चा को सही-सही भरें और फिर “Search” या “खोजें” बटन पर क्लिक करें।

Step 6: भूमि दस्तावेज़ की जानकारी देखें

अब आपकी ज़मीन से संबंधित खतियान, खेसरा, भूमि स्वामी का नाम, भूमि का प्रकार, क्षेत्रफल आदि की जानकारी स्क्रीन पर दिखेगी।

दस्तावेज़ को PDF में डाउनलोड कैसे करें?

1.स्क्रीन पर दिख रही जानकारी के नीचे “Download PDF” का बटन होता है।

2.उस पर क्लिक करके आप खतियान या अन्य रिकॉर्ड को PDF के रूप में सेव कर सकते हैं।

Bihar Bhumi पोर्टल की प्रमुख सेवाएं

सेवा का नामविवरण
रजिस्टर-IIखाता और खेसरा विवरण
जमाबंदी पंजीमौजा वार रिकॉर्ड
भूमि नक्शाभू-भाग की सीमा और स्थिति
दाखिल ख़ारिजMutation Status

समस्याएं आने पर क्या करें?

अगर पोर्टल पर कोई समस्या आती है, तो आप नीचे दिए गए हेल्पलाइन नंबर और ईमेल का प्रयोग कर सकते हैं:

ईमेल: revenue-bih@nic.in

हेल्पलाइन नंबर: 1800-345-6214

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Bihar Bhumi Registry Rules 2025: जानें नए भूमि रजिस्ट्री नियम, ऑनलाइन प्रक्रिया और ज़रूरी दस्तावेज

Bihar Bhumi New Registry Rules 2025 - भूमि रजिस्ट्री नियम 2025 के तहत व्यक्ति दस्तावेजों की जांच कर रहा है

बिहार में भूमि रजिस्ट्री (Land Registration) नियमों में 2025 में बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। बिहार राज्य सरकार द्वारा भूमि रजिस्ट्री में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए कुछ नए नियम लागू किए जा रहे हैं। अगर आप बिहार में भूमि रजिस्ट्री करवाने का सोच रहे हैं तो यह लेख आपको पूरी जानकारी देगा कि क्या बदलने वाला है, कब से ये नियम लागू होंगे, किसे फायदा होगा और आपको किन बातों का ध्यान रखना

बिहार भूमि रजिस्ट्री नियम 2025 में प्रमुख बदलाव

अब रजिस्ट्री करवाने वालों को अपना आधार कार्ड और पैन कार्ड देना जरूरी होगा। यह कदम रजिस्ट्री में जालसाजी और बेनामी लेनदेन रोकने के लिए उठाया गया है।नई रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होने वाली है। आप बिहार भूमि पोर्टल (Bihar Bhumi Portal) के जरिए आवेदन करेंगे, और सभी कागजात ऑनलाइन ही जमा कराए जाएंगे। यह प्रक्रिया रजिस्ट्री में दलालों और रिश्वतखोरी को कम करेगी।और रजिस्ट्री से पहले भूमि का सत्यापन अब जरूरी होगा। इसके लिए राजस्व कर्मचारी या अमीन द्वारा ऑन-साइट जांच की जाएगी। इससे नकली रजिस्ट्री और भूमि विवादों में काफी कमी आने की उम्मीद है।सरकार रजिस्ट्री शुल्क और स्टांप ड्यूटी में भी बदलाव कर सकती है। यह बदलाव भूमि के स्थान और मूल्यांकन दर (MVR) के आधार पर होगा। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग शुल्क हो सकते हैं।

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बिहार भूमि रजिस्ट्री नियम 2025 का उद्देश्य क्या है?

सरकार का मकसद है:

रजिस्ट्री प्रक्रिया में दलालों और भ्रष्टाचार को खत्म करना

भूमि लेनदेन में पारदर्शिता लाना

फर्जी रजिस्ट्री और जालसाजी रोकना

भूमि विवाद कम करना

सरकारी राजस्व में वृद्धि

ऑनलाइन रजिस्ट्री प्रक्रिया में क्या-क्या लगेगा?

आधार कार्ड

पैन कार्ड

भूमि का मूल कागज (खाता, खतियान, रसीद)

विक्रेता और खरीदार का फोटो एवं हस्ताक्षर

भूमि का नक्शा

ऑनलाइन आवेदन शुल्क

पुराने नियम और नए नियम में क्या फर्क है?

पहलूपुराने नियमनए नियम (2025)
आवेदनऑफलाइनऑनलाइन
आधार/पैन जरूरी?जरूरी नहींजरूरी
भूमि सत्यापनबाद में या कभी-कभीरजिस्ट्री से पहले जरूरी
दलालों का हस्तक्षेपअधिककम या बिल्कुल नहीं
रजिस्ट्री शुल्कपुराने दरों के आधारस्थान और मूल्यांकन दर से

बिहार भूमि रजिस्ट्री नियम 2025 राज्य में एक क्रांतिकारी कदम है, जो भूमि लेनदेन में पारदर्शिता और विश्वसनीयता लाएगा। अगर आप बिहार में रजिस्ट्री करवाने की सोच रहे हैं तो 2025 से लागू होने वाले इन नियमों की पूरी जानकारी रखें। सभी कागजात ऑनलाइन उपलब्ध कराएं और दलालों से बचें। यह कदम बिहार में भूमि लेनदेन को पूरी तरह डिजिटल और सुरक्षित बनाएगा!

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Bihar Bhumi New Rule 2025

Bihar Bhumi New Rule 2025: जमीन मालिकों के लिए राजस्व विभाग का नया आदेश

बिहार के मुख्यमंत्री, राज्य का नक्शा और ज़मीन से जुड़े दस्तावेज़ एक साथ दिखाते हुए चित्र
बिहार के मुख्यमंत्री, राज्य का नक्शा और ज़मीन से जुड़े दस्तावेज़ एक साथ दिखाते हुए चित्र

HIGHLIGHTS

  1. भूमि अधिग्रहण आश्रितों के लिए मुआवजा नियम बदला |
  2. 50 लाख से अधिक पर न्यायालय जाना होगा |
  3. अंचलाधिकारी प्रमाण पत्र से कम राशि संभव |

राज्य ब्यूरो, पटना राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि भूमि अधिग्रहण के बाद भू‑स्वामी की मृत्यु होने पर बड़ी रक़में भी बिना पर्याप्त जाँच के संस्करण‑प्रमाण‑पत्र (CO सर्टिफ़िकेट) के आधार पर जारी हो रही थीं। इससे उत्तराधिकारियों के बीच विवाद और धोखाधड़ी के मामले बढ़े। नए आदेश से 50 लाख ₹ से ऊपर की मुआवज़ा राशि के लिए अदालत की पुष्टि अनिवार्य कर दी गई है, ताकि स्वामित्व पर कोई संदेह न रहे और सभी हितधारकों के अधिकार सुरक्षित रहें।

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50 लाख ₹ तक के मामलों की प्रक्रिया

पत्र में कहा गया है कि 50 लाख रुपये तक के भुगतान के लिए भी आश्रितों को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र देना होगा। अंचलाधिकारी दावे की जांच करेंगे। पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही इस राशि का भुगतान किया जा सकता है।इस तरह के भुगतान के मामले में मुआवजे की राशि लेने वाले आश्रित को क्षतिपूर्ति बंध पत्र जमा करना होगा। इसमें वे लिखेंगे कि अगर कोई अन्य व्यक्ति या समूह हकदार साबित होगा तो मुआवजे की पूरी या आंशिक राशि वापस कर देंगे।जाँच से संतुष्ट होने पर भुगतान की स्वीकृति, सामान्यतः 30 कार्य‑दिवस के भीतर।

ज़रूरी दस्तावेज़ों की सूची

क्रमदस्तावेज़क्यों ज़रूरी है?
1मृत्यु प्रमाण‑पत्रभू‑स्वामी के देहांत की अधिकारिक पुष्टि
2उत्तराधिकार प्रमाण‑पत्रअदालत / CO को उत्तराधिकारी पहचानने के लिए
3क्षतिपूर्ति बंध‑पत्रभविष्य में विवाद की स्थिति में राशि वापसी का वचन
4आधार / पैन / वोटर‑आईडीपहचान एवं पते का सत्यापन
5भूमि अधिग्रहण पुरस्कार की प्रतिमुआवज़े की मूल राशि व स्वीकृति दर्शाने के लिए

नए आदेश से होने वाले लाभ

पारदर्शिता: बड़ी रकम पर न्यायालय की निगरानी से फर्ज़ी दावों पर अंकुश।

तेज़ प्रक्रिया: 50 लाख ₹ से कम वाले मामलों में CO स्तर पर निपटारा, अदालत का चक्कर नहीं।

उत्तराधिकारियों का संरक्षण: सभी वैध वारिसों को सुनवाई का अवसर।

सरकारी रिकॉर्ड सुधार: भूमि खातों में अद्यतन नामांतरण आसान।

शेखपुरा से शुरू हुआ यह आदेश जल्द ही पूरे बिहार में लागू होने की संभावना रखता है। अगर आपकी भूमि अधिग्रहित हुई है और भू‑स्वामी का निधन हो चुका है, तो ऊपर दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार तुरंत कार्रवाई करें। सही दस्तावेज़ और प्रक्रिया अपनाकर आप अनावश्यक मुक़दमेबाज़ी, अतिरिक्त खर्च और देरी से बच सकते हैं।

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