धान की खेती भारत के करोड़ों किसानों के लिए आजीविका का प्रमुख साधन है। लेकिन जुलाई से सितंबर के बीच धान की फसल में लगने वाले कीटों से किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाता है। कीटनाशकों पर खर्च बढ़ता है, और पैदावार में भी गिरावट आती है। ऐसे में एक नया देसी नुस्खा इन दिनों गांवों में काफी चर्चा में है, जो कीट नियंत्रण के लिए कारगर साबित हो रहा है।
कीटों का प्रकोप: कब और कैसे होता है हमला?
धान की रोपाई के कुछ दिन बाद ही फसल पर कई प्रकार के कीटों का हमला शुरू हो जाता है। इसमें प्रमुख हैं:
- तना छेदक (Stem Borer) – पौधों के तनों में छेद कर फसल को कमजोर कर देता है।
- पत्ती लपेटक (Leaf Folder) – पत्तियों को मोड़कर अंदर बैठ जाता है और उन्हें खा जाता है।
- भूरा और सफेद पीठ वाला कीट (Brown/Whitebacked Plant Hopper) – रस चूसते हैं और पौधों को सुखा देते हैं।
यदि समय रहते इन पर नियंत्रण न किया जाए तो पूरी फसल चौपट हो सकती है।
कीटनाशकों की समस्या: महंगे भी और हानिकारक भी
अधिकतर किसान कीट नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। लेकिन इनसे कई समस्याएं होती हैं:
- खेत और मिट्टी की उर्वरता घटती है
- कीड़े धीरे-धीरे प्रतिरोधक हो जाते हैं
- इंसानों और पशुओं के लिए भी ये हानिकारक होते हैं
- लागत अधिक होती है और मुनाफा घट जाता है
इसी वजह से किसान अब जैविक और देसी उपायों की ओर लौट रहे हैं।
देसी नुस्खा: नीम, छाछ और लहसुन का घोल
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के गांवों में किसानों ने एक देसी फार्मूला अपनाया है, जिसमें सिर्फ तीन चीजें चाहिए:
- नीम का अर्क (Neem Extract) – 1 लीटर
- छाछ (Buttermilk) – 1 लीटर
- लहसुन का पेस्ट (Garlic Paste) – 250 ग्राम
इन तीनों को 10 लीटर पानी में मिलाकर एक ड्रम में भर दें। 24 घंटे तक ढककर रख दें ताकि मिश्रण पूरी तरह तैयार हो जाए। फिर इसे छानकर स्प्रे मशीन से फसल पर छिड़काव करें।
यह नुस्खा कैसे करता है काम?
- नीम का अर्क में मौजूद एजाडिरैक्टिन (Azadirachtin) कीड़ों की ग्रोथ रोकता है और उनकी प्रजनन क्षमता को नष्ट करता है।
- छाछ में मौजूद लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया कीटों को मारने में सहायक होता है और पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
- लहसुन की गंध कीड़े पसंद नहीं करते और खेत से भाग जाते हैं। साथ ही इसमें सल्फर युक्त यौगिक होते हैं जो कीटों पर असर करते हैं।
यह मिश्रण पूरी तरह जैविक और सुरक्षित है।
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कब और कैसे करें छिड़काव?
इस देसी घोल का छिड़काव नीचे दिए गए अंतराल पर करें:
- पहली बार: रोपाई के 10 दिन बाद
- दूसरी बार: 20-25 दिन बाद
- तीसरी बार: यदि जरूरत हो तो 15 दिन बाद फिर से
प्रति एकड़ खेत के लिए लगभग 15 लीटर घोल पर्याप्त होता है। कोशिश करें कि छिड़काव सुबह या शाम के समय करें जब धूप तेज न हो।
किसानों के अनुभव: गांव में मिल रही जबरदस्त प्रतिक्रिया
गया (बिहार) के किसान संतोष सिंह बताते हैं,
“पिछले साल कीटनाशक पर 3,000 रुपये खर्च हुआ था, लेकिन इस बार नीम और लहसुन से बने घोल से काम चल गया। कीट नहीं लगे और खर्च भी बचा।”
वहीं बस्ती (उत्तर प्रदेश) के विजय यादव कहते हैं,
“इस देसी नुस्खे से न सिर्फ फसल बची बल्कि जैविक होने से बाजार में दाम भी अच्छा मिला।”
खर्च और उपलब्धता
इस देसी उपाय में खर्च बहुत कम आता है। लगभग 20-25 रुपये प्रति लीटर घोल तैयार हो जाता है। सामग्री गांव में ही उपलब्ध होती है और इसे कोई भी किसान आसानी से बना सकता है।
सामग्री | मात्रा | लागत (लगभग) |
---|---|---|
नीम पत्ता/नीम अर्क | 1 लीटर | ₹10-15 |
छाछ | 1 लीटर | ₹5-10 |
लहसुन | 250 ग्राम | ₹20-25 |
कुल खर्च | — | ₹40-50 प्रति स्प्रे |
भारत सरकार भी अब परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन (NPOF) के माध्यम से किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। यह देसी उपाय उन किसानों के लिए वरदान है जो:
लागत घटाकर मुनाफा बढ़ाना चाहते हैं
कीटनाशकों का विकल्प ढूंढ रहे हैं
जैविक फसल उगाना चाहते हैं
निष्कर्ष
धान की खेती में कीट नियंत्रण एक बड़ी चुनौती है, लेकिन अगर समय रहते देसी और सुरक्षित उपायों को अपनाया जाए तो फसल को बचाया जा सकता है। नीम, लहसुन और छाछ से बना यह देसी घोल गांवों में तेजी से ट्रेंड बन रहा है और भविष्य की जैविक खेती की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
यदि आप किसान हैं तो इस उपाय को ज़रूर आज़माएं — सस्ता, सुरक्षित और पूरी तरह प्राकृतिक।
FAQ
Q1. धान की फसल में सबसे ज्यादा कौन-कौन से कीट लगते हैं?
धान की फसल में आमतौर पर तना छेदक (Stem Borer), पत्ती लपेटक (Leaf Folder), भूरा और सफेद पीठ वाला कीट (Brown/Whitebacked Plant Hopper) और चूसक कीट लगते हैं।
Q2. नीम, छाछ और लहसुन से बना देसी घोल कैसे बनाएं?
1 लीटर नीम का अर्क, 1 लीटर छाछ और 250 ग्राम लहसुन का पेस्ट 10 लीटर पानी में मिलाएं। इसे 24 घंटे ढककर रखें और फिर छिड़काव करें।
Q3. इस देसी उपाय से कितनी बार छिड़काव करना चाहिए?
इसका छिड़काव रोपाई के 10 दिन बाद, फिर 20 दिन बाद और आवश्यकता पड़ने पर तीसरी बार करें। यह एक जैविक और सुरक्षित तरीका है।
Q4. इस देसी नुस्खे से खर्च कितना आता है?
नीम, लहसुन और छाछ से बना यह मिश्रण 1 एकड़ के लिए ₹40-₹50 में तैयार हो जाता है, जो कीटनाशक से कई गुना सस्ता है।
Q5. क्या यह उपाय जैविक खेती में मान्य है?
हां, यह पूरी तरह जैविक उपाय है और भारत सरकार की जैविक खेती योजनाओं जैसे PKVY और NPOF में भी इसका समर्थन किया गया है।
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