Chandra Grahan 2025: आज: सूतक काल, समय, महत्व और ज्योतिषीय प्रभाव

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Chandra Grahan 2025:7–8 सितंबर 2025 की रात भारत सहित पूरी दुनिया में एक दुर्लभ खगोलीय घटना देखने को मिली, जब आसमान में पूर्ण चंद्रग्रहण (Total Lunar Eclipse) ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह खगोलीय घटना भारत, एशिया, यूरोप और अफ्रीका के कई हिस्सों से साफ-साफ दिखाई दी। खगोल वैज्ञानिकों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह ग्रहण न सिर्फ़ देखने में अद्भुत था बल्कि वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया। भारत में यह ग्रहण रविवार की रात को शुरू हुआ और सोमवार तड़के तक चला। सूतक काल की शुरुआत दोपहर 12:57 बजे से हुई थी और यह अगले दिन 01:26 AM तक चला। इस दौरान पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार कई धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों पर रोक लगी रही।

अगर बात करें समय-सीमा की तो पेन्यूब्रल चरण रात 08:58 बजे शुरू हुआ। इसके बाद रात 09:57 बजे आंशिक ग्रहण शुरू हुआ और 11:01 बजे से पूर्ण चंद्रग्रहण का दृश्य दिखाई देने लगा। ग्रहण का चरम समय 11:42 बजे था, जब चंद्रमा लालिमा लिए हुए पूरे आसमान में चमक रहा था। यह स्थिति 12:22 बजे तक बनी रही और इसके बाद ग्रहण धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ा। पूरी प्रक्रिया 01:26 AM पर जाकर खत्म हुई। इस दौरान करीब 82 मिनट तक ब्लड मून का नज़ारा लोगों ने देखा। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो चंद्रमा लाल क्यों दिखता है, इसका कारण पृथ्वी का वायुमंडल है। जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। पृथ्वी का वातावरण नीली रोशनी को रोक लेता है और लाल रोशनी को पार होने देता है, जिससे चंद्रमा पर लालिमा दिखाई देती है। यही वजह है कि इस घटना को ब्लड मून कहा जाता है।

यह चंद्रग्रहण न केवल खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से रोमांचक रहा बल्कि इसके धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व ने इसे और भी खास बना दिया। देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों ने इस दृश्य को देखने के लिए मंदिरों, घरों की छतों और पार्कों में एकत्र होकर इसे देखा। बच्चों और खगोल विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए यह रात बेहद यादगार रही क्योंकि उन्होंने टेलिस्कोप और कैमरे की मदद से इसे नज़दीक से देखा और अध्ययन किया।

Chandra Grahan 2025,धार्मिक मान्यताएँ, सूतक काल और परंपराएँ

भारत में ग्रहण को केवल वैज्ञानिक घटना नहीं बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी बेहद अहम माना जाता है। चंद्रग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है, इस दौरान मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं और कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, गृहप्रवेश या नया व्यवसाय शुरू नहीं किया जाता। ग्रहण काल और सूतक के दौरान भोजन करना, नए कपड़े पहनना, तेल लगाना, नींद लेना या यात्रा करना वर्जित माना जाता है। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है ताकि ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा का असर उन पर और गर्भस्थ शिशु पर न पड़े।

Chandra Grahan 2025,हिंदू धर्म के अनुसार सूतक काल और ग्रहण के समय मंत्र जाप, ध्यान और भगवान का नाम लेना शुभ माना जाता है। लोग तुलसी पत्र या कुशा को भोजन और पानी में डालकर रखते हैं ताकि ग्रहण का प्रभाव उस पर न पड़े। ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करना, घर की सफाई करना और पूजा-पाठ करना अनिवार्य माना जाता है। ग्रहण के बाद दान-पुण्य का महत्व भी बढ़ जाता है। कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि इस समय गरीब और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

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इस बार का चंद्रग्रहण खास इसलिए भी था क्योंकि यह पितृपक्ष के साथ पड़ा। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान का आयोजन किया जाता है। ऐसे में ग्रहण का संयोग धार्मिक महत्व को और भी बढ़ा देता है। कई मंदिरों और तीर्थ स्थलों पर विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया गया। देशभर के कई शहरों में लोग बड़ी संख्या में एकत्र हुए और ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान व पूजा कर दान-पुण्य किए।

ज्योतिषीय प्रभाव, राशियों पर असर और कैसे देखें चंद्रग्रहण

ज्योतिष शास्त्र में चंद्रग्रहण का प्रभाव सभी राशियों पर अलग-अलग माना जाता है। इस बार के ग्रहण का असर विशेष रूप से मेष, वृषभ, कन्या और धनु राशि के जातकों पर शुभ माना गया है। इन राशियों के लोगों के जीवन में नए अवसर, करियर में उन्नति और आर्थिक लाभ के योग बताए जा रहे हैं। वहीं, मिथुन, कर्क और मीन राशि वालों के लिए यह समय सावधानी बरतने का था। इन लोगों को स्वास्थ्य, रिश्तों और निवेश से जुड़े मामलों में सोच-समझकर कदम उठाने की सलाह दी गई। तुला और वृश्चिक राशि वालों को मानसिक तनाव और निर्णय लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, ज्योतिषाचार्य यह भी मानते हैं कि ग्रहण आत्ममंथन और आत्मचिंतन का समय है। इस दौरान पुराने कार्यों को पूरा करना और नकारात्मक विचारों को त्यागना शुभ माना जाता है।

ग्रहण देखने की बात करें तो वैज्ञानिकों और खगोल प्रेमियों का कहना है कि चंद्रग्रहण नंगी आंखों से देखना पूरी तरह सुरक्षित है। सूर्यग्रहण की तरह यहां किसी विशेष चश्मे या उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। कैमरे और टेलिस्कोप की मदद से लोग इस खूबसूरत दृश्य को और करीब से देख सकते हैं। तस्वीरें लेने के शौकीनों के लिए यह रात बेहद खास रही। विशेषज्ञों के अनुसार ब्लड मून की फोटोग्राफी के लिए ट्राइपॉड का इस्तेमाल करना चाहिए और कैमरे को मैन्युअल मोड पर सेट कर ISO व शटर स्पीड को एडजस्ट करना चाहिए।

देश के कई शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और पुणे में पब्लिक व्यूइंग सेशन भी आयोजित किए गए जहां आम लोग खगोल विज्ञान संस्थानों के टेलिस्कोप से चंद्रग्रहण को देख पाए। पुणे में ज्योतिरविद्या परिषद और कई अन्य संस्थानों ने विशेष कार्यक्रम आयोजित किए। छोटे बच्चों और युवाओं में इस ग्रहण को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला।

इस बार का चंद्रग्रहण ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण था क्योंकि इसे “9-9-9” कॉस्मिक अलाइनमेंट का हिस्सा माना जा रहा है। यह समय कई लोगों के लिए जीवन में बड़े बदलाव और नए अवसर लेकर आ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संयोग वित्तीय बाजार और राजनीतिक परिस्थितियों पर भी असर डाल सकता है।

7–8 सितंबर 2025 का चंद्रग्रहण अपने आप में एक अनूठा संगम रहा—जहां विज्ञान और आस्था दोनों एक साथ नज़र आए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह घटना पृथ्वी की छाया में चंद्रमा के आने का एक बेहतरीन उदाहरण है, जबकि धार्मिक दृष्टि से यह आत्मशुद्धि और दान-पुण्य का अवसर है। ज्योतिषीय रूप से यह ग्रहण कई राशियों के लिए शुभ तो कुछ के लिए सतर्क रहने का संकेत देता है। इस बार के ग्रहण की खासियत यह भी रही कि यह पितृपक्ष में पड़ा, जिससे इसका धार्मिक महत्व और बढ़ गया।

देशभर के लोगों ने इस खगोलीय घटना को न सिर्फ़ देखा बल्कि इसे परंपराओं और विश्वासों से भी जोड़कर आत्मसात किया। चाहे खगोल विज्ञान की दृष्टि से देखें या धार्मिक आस्था की नज़र से, यह चंद्रग्रहण आने वाले कई वर्षों तक याद रखा जाएगा।

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