Janmashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी कब है? तिथि, पूजा मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व जानें

78 / 100 SEO Score

भारत त्योहारों का देश है और हर त्योहार अपने भीतर गहरी आध्यात्मिक ऊर्जा छुपाए रहता है। उन्हीं में से एक है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। Janmashtami 2025 इस वर्ष शनिवार, 16 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। देशभर में श्रद्धालु उपवास रखकर और मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण की आराधना करके इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं।

Janmashtami 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 15 अगस्त 2025, रात 11:49 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त 2025, शाम 9:34 बजे
  • निशीथ पूजा मुहूर्त: 16 अगस्त की रात 12:04 AM से 12:47 AM तक
  • व्रत पारण का समय: 16 अगस्त की रात 9:34 PM के बाद
  • 👉 पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी की तिथि 15 अगस्त की रात से शुरू हो रही है, लेकिन अधिकांश लोग 16 अगस्त को ही व्रत और पूजा करेंगे।

जन्माष्टमी का महत्व

भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब पृथ्वी पर अत्याचार और अधर्म बढ़ गया था, तब विष्णु ने कृष्ण रूप में जन्म लेकर अत्याचार का अंत किया।

  • श्रीकृष्ण ने महाभारत में अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश देकर जीवन जीने की राह दिखाई।
  • उनका जीवन धर्म, नीति, राजनीति और प्रेम का अद्भुत संगम है।
  • जन्माष्टमी पर उपवास रखने से जीवन में सुख-समृद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है।

जन्माष्टमी 2025 पर पूजा विधि

जन्माष्टमी की पूजा रात 12 बजे के आसपास की जाती है, क्योंकि यही भगवान कृष्ण का जन्मकाल माना जाता है। पूजा विधि इस प्रकार है –

  1. सुबह स्नान और संकल्प: उपवास का संकल्प लें और दिनभर सात्विक रहें।
  2. पूजा स्थान की तैयारी: घर में स्वच्छ स्थान पर ठाकुरजी का झूला सजाएँ।
  3. मध्यरात्रि पूजा: रात 12 बजे श्रीकृष्ण को पंचामृत स्नान कराएँ।
  4. श्रृंगार और भोग: नए वस्त्र पहनाएँ, मक्खन-मिश्री और फल का भोग लगाएँ।
  5. आरती और कीर्तन: आरती करें और भजन-कीर्तन गाएँ।
  6. भक्त मंदिरों में भी विशेष आयोजन करते हैं, मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी का उत्सव विश्व प्रसिद्ध है।

Janmashtami 2025 उपवास नियम और महत्व

  • जन्माष्टमी का व्रत निर्जला रखा जाता है यानी बिना अन्न-जल ग्रहण किए।
  • कुछ भक्त फलाहार करते हैं और रात को व्रत खोलते हैं।
  • उपवास के दौरान सत्य, संयम और भक्ति का पालन करना चाहिए।

धार्मिक मान्यता है कि उपवास रखने और निशीथ काल में पूजा करने से भगवान श्रीकृष्ण विशेष कृपा करते हैं और जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।

BSSC Office Attendant Recruitment 2025: बिहार में 3727 पदों पर निकली बंपर भर्ती, जानें योग्यता, तिथि और आवेदन प्रक्रिया click here

मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी

मथुरा को भगवान कृष्ण की जन्मभूमि माना जाता है। यहाँ जन्माष्टमी पर भव्य आयोजन होते हैं –

  • शोभायात्राएँ: झाँकियाँ और रथ यात्राएँ निकलती हैं।
  • झूला उत्सव: श्रीकृष्ण को झूले पर बैठाकर भक्त झुलाते हैं।
  • मध्यरात्रि जन्म महोत्सव: मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में हजारों भक्त इकट्ठा होकर मध्यरात्रि में ‘नंद के आनंद भयो’ गाते हैं।
  • वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में विदेशी भक्त भी धूमधाम से जन्माष्टमी मनाते हैं।

Janmashtami 2025 दही हांडी का उत्सव

महाराष्ट्र और गुजरात में जन्माष्टमी पर दही-हांडी का आयोजन होता है। इसमें युवा गोविंदा समूह मिलकर पिरामिड बनाते हैं और ऊँचाई पर लटकी मटकी फोड़ते हैं। यह आयोजन श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं की याद दिलाता है। बात करे की जन्माष्टमी 2025 पर क्या करें और क्या न करें

क्या करें:
  • उपवास रखें और संकल्प लें।
  • घर को साफ-सुथरा रखें।
  • भगवान कृष्ण का भजन-कीर्तन करें।
  • जरूरतमंदों को दान दें।
क्या न करें:
  • झूठ, क्रोध और वाद-विवाद से बचें।
  • मांस-मदिरा का सेवन न करें।
  • किसी का दिल न दुखाएँ।

निष्कर्ष

Janmashtami 2025 इस साल 16 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन उपवास, पूजा, भजन और दही-हांडी के माध्यम से श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण किया जाता है। भक्तजन मानते हैं कि इस दिन का उपवास करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

Leave a Comment