नई दिल्ली | Akshwani News 24
टेक्नोलॉजी की दुनिया में आए दिन नए बदलाव देखने को मिलते हैं, लेकिन इस बार जो भविष्यवाणी सामने आई है, उसने लोगों की सोच ही बदल दी है। टेस्ला और X (Twitter) के मालिक एलन मस्क (Elon Musk) ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने पूरी टेक इंडस्ट्री को झकझोर कर रख दिया है। मस्क के मुताबिक आने वाले 5 से 6 वर्षों में आज जैसा स्मार्टफोन हम इस्तेमाल करते हैं, वह पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
मशहूर पत्रकार मिलिंद खांडेकर (Milind Khandekar) ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट (अब X) पर एलन मस्क की इस सोच को साझा करते हुए लिखा कि “भविष्य में न तो iOS रहेगा और न ही Android — एक ऐसा AI डिवाइस होगा जो आपकी जरूरत के अनुसार अपने आप वीडियो बना देगा।” यह बयान जितना रोमांचक है, उतना ही भविष्य की झलक दिखाता है कि अब स्मार्टफोन के दिन गिने-चुने बचे हैं।
एलन मस्क की भविष्यवाणी: “5 साल में फोन नहीं रहेगा”
एलन मस्क हमेशा अपनी अनोखी सोच और क्रांतिकारी आइडियाज के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने पहले इलेक्ट्रिक कारों से लेकर रॉकेट और अब मानव मस्तिष्क को कंप्यूटर से जोड़ने तक के सपने को हकीकत बनाया है। अब उनका नया दावा है कि आने वाले कुछ सालों में स्मार्टफोन पूरी तरह से गायब हो जाएगा और उसकी जगह एक AI-आधारित डिवाइस लेगा। यह डिवाइस इतना स्मार्ट होगा कि यह आपके विचारों को समझकर खुद-ब-खुद काम करेगा। मतलब, आपको स्क्रीन छूने, टाइप करने या ऐप खोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
मिलिंद खांडेकर ने अपने ट्वीट में एलन मस्क के हवाले से कहा कि यह नया AI उपकरण न केवल स्मार्टफोन को रिप्लेस करेगा बल्कि आज के सभी ऐप्स, ओएस और डिजिटल इंटरफेस को भी अप्रासंगिक बना देगा। यह तकनीक आपकी आवाज़ और सोच के आधार पर काम करेगी और जो भी आप चाहेंगे, वह तुरंत आपको वीडियो या विजुअल फॉर्म में दिखा देगी। एलन मस्क पहले से ही Neuralink नामक कंपनी के माध्यम से ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस पर काम कर रहे हैं, जो इंसान के मस्तिष्क और मशीन को सीधे जोड़ने का प्रयास है। यही वह तकनीक है जिससे उनका यह दावा जुड़ा है।
यह भविष्यवाणी सिर्फ एक बयान नहीं बल्कि आने वाले समय की झलक है। जैसे आज हम सोच नहीं सकते कि बिना मोबाइल के दिन कैसे गुज़रेंगे, उसी तरह 2005 में किसी ने नहीं सोचा था कि बटन वाले फोन की जगह टचस्क्रीन फोन आ जाएगा। एलन मस्क का कहना है कि जिस तरह एक दशक पहले फोन का रूप बदला था, अब अगले पांच सालों में वही बदलाव एक नई दिशा में होगा — जहाँ फोन नहीं, सोच कमांड बनेगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैसे बदल देगा स्मार्टफोन की दुनिया
AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहले ही हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। आज आप Google Assistant से लेकर ChatGPT तक हर जगह AI की ताकत देख सकते हैं। लेकिन मस्क के मुताबिक भविष्य का AI इससे भी कहीं आगे जाएगा। आने वाला AI सिर्फ जवाब नहीं देगा बल्कि आपके विचारों को समझेगा, आपकी भावना को पहचानेगा और उसी अनुसार रियल-टाइम रिजल्ट देगा।
इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप सोचते हैं “मुझे हिमालय की यात्रा का वीडियो देखना है”, तो AI डिवाइस तुरंत उसी विचार को पकड़ लेगा और आपकी आंखों के सामने एक वास्तविक जैसा वीडियो चला देगा। न कोई सर्च करना, न कोई टाइपिंग। यह पूरा प्रोसेस ब्रेन-सिग्नल्स और न्यूरल नेटवर्क के जरिए होगा। Neuralink जैसी कंपनियां इसी दिशा में रिसर्च कर रही हैं कि कैसे मानव मस्तिष्क के इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को डिजिटल कमांड में बदला जा सकता है।
अगर ऐसा संभव हो गया, तो न केवल स्मार्टफोन बल्कि कंप्यूटर, टीवी, लैपटॉप जैसी चीजें भी अप्रासंगिक हो सकती हैं। AI-आधारित डिवाइस किसी ऐप या स्क्रीन के बिना सीधे ब्रेन या वॉयस से काम करेगा। ये डिवाइस “कॉग्निटिव असिस्टेंट” कहलाएंगे जो यूज़र के साथ रियल-टाइम में बातचीत करेंगे। कल्पना कीजिए कि आपको मौसम जानना है, तो आप पूछेंगे नहीं — बस सोचेंगे, और डिवाइस आपकी सोच समझकर जवाब देगा। यही वह युग होगा जहाँ टेक्नोलॉजी इंसान की भाषा नहीं, इंसान की सोच समझेगी।
भारत पर असर: क्या मोबाइल इंडस्ट्री खत्म हो जाएगी?
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है। यहाँ हर महीने लाखों नए फोन बिकते हैं और करोड़ों लोग मोबाइल ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। इसीलिए यह सवाल सबसे बड़ा है कि अगर एलन मस्क की भविष्यवाणी सच हुई, तो भारत पर क्या असर पड़ेगा।
सबसे पहले बात करें ऐप इंडस्ट्री की। भारत में लाखों युवा मोबाइल ऐप डेवलपर हैं जो एंड्रॉइड और iOS प्लेटफॉर्म के लिए ऐप्स बनाकर रोज़गार कमा रहे हैं। अगर आने वाले वर्षों में AI-आधारित डिवाइस आ जाते हैं, तो इन ऐप्स की जरूरत खत्म हो सकती है। डेवलपर्स को अपनी स्किल्स को नए सिरे से अपग्रेड करना पड़ेगा ताकि वे AI-ड्रिवन सिस्टम के लिए इंटरफेस बना सकें।
दूसरी ओर मोबाइल कंपनियाँ जैसे Samsung, Vivo, Oppo, Xiaomi और Apple — इन्हें भी अपने बिजनेस मॉडल में बड़ा बदलाव लाना होगा। आज ये कंपनियाँ स्मार्टफोन पर निर्भर हैं, लेकिन अगर भविष्य में लोग “AI डिवाइस” का इस्तेमाल करेंगे, तो इन ब्रांड्स को उसी दिशा में काम करना पड़ेगा। वैसे ही टेलीकॉम सेक्टर पर भी असर पड़ेगा क्योंकि नया AI-डिवाइस डेटा को अलग तरीके से इस्तेमाल करेगा।
रोज़गार पर भी असर पड़ना तय है। मोबाइल रिपेयर, रिटेल, नेटवर्क सर्विस जैसी नौकरियाँ धीरे-धीरे घट सकती हैं। हालाँकि, दूसरी तरफ नए अवसर भी बनेंगे — जैसे AI ट्रेनर, डेटा इंटरफेस डिज़ाइनर, न्यूरल डिवाइस इंजीनियर जैसी नई प्रोफेशनल भूमिकाएँ उभरेंगी। भारत जैसे युवा देश के लिए यह बदलाव चुनौती भी है और अवसर भी।
सबसे बड़ी बात यह है कि भारत का उपभोक्ता बहुत तेजी से नई तकनीक अपनाता है। जिस तरह Paytm और UPI ने डिजिटल पेमेंट को लोकप्रिय बनाया, वैसे ही AI डिवाइस आने पर यह तकनीक भारत में भी तेजी से स्वीकार हो सकती है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब इसकी कीमत आम उपभोक्ता की पहुंच में हो और डेटा सुरक्षा को लेकर सरकार और कंपनियाँ भरोसा दिला सकें।
क्या वाकई मस्क का यह सपना सच हो सकता है?
एलन मस्क को भविष्य का वैज्ञानिक कहा जाता है क्योंकि वो सिर्फ बातें नहीं करते, बल्कि उन्हें सच कर दिखाते हैं। जब उन्होंने कहा था कि इलेक्ट्रिक कारें दुनिया का भविष्य हैं, तब बहुतों ने मज़ाक उड़ाया था। आज Tesla पूरी दुनिया में सबसे सफल इलेक्ट्रिक कार ब्रांड है। जब उन्होंने SpaceX लॉन्च किया, तब कहा गया कि निजी कंपनियाँ रॉकेट नहीं बना सकतीं, लेकिन आज SpaceX नासा के साथ काम कर रही है। इसी तरह Neuralink और X-AI जैसी कंपनियों के ज़रिए मस्क अब इंसान और मशीन के बीच की दूरी मिटाने में जुटे हैं।
मस्क का यह कहना कि “स्मार्टफोन का ज़माना खत्म होने वाला है” उनके पिछले बयानों की ही तरह दूरदर्शी है। वह पहले ही Neuralink के माध्यम से ऐसे चिप पर काम कर रहे हैं जो सीधे इंसान के दिमाग में लगाया जाएगा। यह चिप इंसान की सोच को डिजिटल कमांड में बदल देगा। यानी आपका दिमाग ही आपका फोन बन जाएगा।
AI-जनरेटेड वीडियो बनाने की तकनीक पहले से विकसित हो रही है। OpenAI, Google DeepMind, Meta और कई कंपनियाँ ऐसे मॉडल बना रही हैं जो टेक्स्ट से वीडियो तैयार कर सकते हैं। अगर ये मॉडल रियल-टाइम और इंटरएक्टिव बन जाते हैं, तो वाकई फोन की जरूरत नहीं रहेगी।
हालाँकि इस तकनीक के सामने कुछ बड़ी चुनौतियाँ भी हैं — जैसे गोपनीयता, डेटा सुरक्षा, साइबर अपराध, और तकनीक का दुरुपयोग। लेकिन एलन मस्क जैसे दूरदर्शी उद्यमी इन चुनौतियों के बावजूद आगे बढ़ते हैं।एलन मस्क की भविष्यवाणी भले ही अभी अविश्वसनीय लगे, लेकिन यह निश्चित है कि आने वाले 5 से 6 वर्षों में दुनिया की डिजिटल तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी। जैसे कभी बटन वाला फोन इतिहास बन गया, वैसे ही अब स्मार्टफोन भी इतिहास बन सकता है।
AI-डिवाइस या “ब्रेन-कनेक्टेड” सिस्टम इंसान की सोच को मशीन की भाषा में बदल देंगे। तब इंसान को अपने फोन की स्क्रीन देखने या ऐप खोलने की जरूरत नहीं होगी। सब कुछ सोच से होगा, और मशीन समझ जाएगी कि आपको क्या चाहिए।भारत जैसे देश के लिए यह तकनीक बड़ी संभावना लेकर आएगी। यहाँ का युवा वर्ग नई तकनीक को सबसे तेजी से अपनाता है। अगर यह बदलाव आया, तो भारत उस दौर का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन सकता है।
अंततः कहा जा सकता है कि एलन मस्क की सोच केवल एक भविष्यवाणी नहीं बल्कि आने वाले युग की झलक है, जिसमें इंसान और तकनीक के बीच कोई दीवार नहीं होगी। उस युग में फोन नहीं, बल्कि आपकी सोच ही आपका इंटरनेट कनेक्शन होगी।













